- अर्क विवाह(लड़के के लिए)
अर्क विवाह (Arka Vivah) एक विशेष प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से मंगल दोष के निवारण के लिए किया जाता है।
जब पुरुष की कुंडली में मंगल दोष होता हैं तो उसके विवाह में हो रहे विलंब को दूर करने के लिए विवाह से पहले लड़के का विवाह एक अर्क वृछ (सूरजमुखी का पौधा) से करना चाहिए। यह दोष निवारण के लिए एक प्रभावी उपाय माना जाता है।और विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच सामंजस्य बना रहता है। व यह विवाह की रुकावटें दूर करता है।
अर्क विवाह की प्रक्रिया:
कुंडली मिलन– पहले कुंडली का विश्लेषण किया जाता है कि मंगल दोष की स्थिति कितनी गंभीर है।
पेड़ या कलश का चयन– व्यक्ति का विवाह अर्क वृक्ष (सूरजमुखी का पौधा) या केले के पेड़ से कराया जाता है।
मंत्रोच्चार और पूजा – विधिपूर्वक विवाह संस्कार कराया जाता है।
विवाह का समापन– विवाह के बाद कलश को बहते जल में प्रवाहित कर दिया जाता है या वृक्ष की पूजा करके उसे सम्मानपूर्वक छोड़ दिया जाता है।
- कुंभ विवाह (लड़कियों के लिए)
कुंभ विवाह विशेष रूप से उन लड़कियों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है। यह एक प्रतीकात्मक विवाह है, जिसका उद्देश्य मंगल दोष के अशुभ प्रभाव को समाप्त या कम करना है, ताकि लड़की का भविष्य का दांपत्य जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण हो।
कुंभ विवाह में लड़की का विवाह एक मिट्टी के कलश (कुंभ) से कराया जाता है, जो बाद में तोड़ दिया जाता है या पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसे इस विश्वास के साथ किया जाता है कि मंगल दोष से उत्पन्न होने वाले नकारात्मक प्रभाव इस प्रतीकात्मक विवाह के साथ ही समाप्त हो जाते हैं।
कुंभ विवाह की प्रक्रिया:
कुंडली मिलान और पुष्टि – ज्योतिषाचार्य कुंडली देखकर मंगल दोष की पुष्टि करते हैं।
कलश या पीपल का पेड़ – कुंभ विवाह के लिए मिट्टी का कलश या पीपल/केले के पेड़ का उपयोग किया जाता है।
विवाह की रस्में – विवाह की सभी रस्में पूरी विधिपूर्वक की जाती हैं, जैसे किसी सामान्य विवाह में होती हैं।
कलश को तोड़ना या प्रवाहित करना – विवाह के बाद कलश को तोड़ दिया जाता है या बहते पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है।
- विष्णु विवाह (लड़कियों के लिए)
विष्णु विवाह एक आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें लड़की भगवान विष्णु (चांदी या स्वर्ण) को अपना पहला पति मानकर विवाह करती है। ऐसा माना जाता है कि इस विवाह के बाद लड़की पर मंगल दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है या कम हो जाता है।
- विष्णु विवाह का महत्व:
- भगवान विष्णु के साथ विवाह करने का अर्थ है कि लड़की के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं, क्योंकि भगवान विष्णु पालक और संरक्षक माने जाते हैं।
- यह विवाह लड़की के लिए शुभता और सुरक्षा का प्रतीक है।
- वास्तविक जीवनसाथी पर मंगल दोष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
विष्णु विवाह की प्रक्रिया:
कुंडली मिलान और पुष्टि – कुंडली में मंगल दोष या अन्य दोषों की पुष्टि किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से करवाई जाती है।
विष्णु स्वरूप का चयन– भगवान विष्णु की मूर्ति या शालिग्राम शिला का उपयोग किया जाता है।
विवाह की रस्में – लड़की का विवाह भगवान विष्णु के प्रतीक (शालिग्राम) के साथ पूरे विधि-विधान से संपन्न कराया जाता है। विवाह में सभी वैवाहिक रस्में जैसे मंडप, फेरे और मंत्रोच्चार होते हैं।
विवाह के बाद पूजा – विवाह के बाद भगवान विष्णु या शालिग्राम की नियमित पूजा की जाती है और उन्हें घर में सम्मानपूर्वक स्थापित किया जाता है।
- अश्वत्थ विवाह (लड़कियों के लिए)
अश्वत्थ विवाह एक विशेष अनुष्ठान है, जो उन लड़कियों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में मंगल दोष हो। अश्वत्थ का अर्थ होता है पीपल का वृक्ष। इस विवाह में लड़की का प्रतीकात्मक विवाह एक पीपल के पेड़ से कराया जाता है ताकि मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त किया जा सके।
अश्वत्थ विवाह का महत्व
मंगल दोष शमन – इस विवाह से मंगल दोष के अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
विवाह में रुकावटों का निवारण – विवाह में आ रही देरी या बाधाएं दूर होती हैं।
पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य – मंगल दोष के कारण होने वाली जीवनसाथी की परेशानी या स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें समाप्त हो जाती हैं।
दांपत्य जीवन सुखमय बनाना – विवाह के बाद लड़की का दांपत्य जीवन शांतिपूर्ण और सुखी होता है।
अश्वत्थ विवाह की प्रक्रिया
कुंडली परीक्षण – सबसे पहले किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से लड़की की कुंडली की जांच कराई जाती है।
पीपल के वृक्ष का चयन – किसी शुभ मुहूर्त में पीपल के वृक्ष का चयन किया जाता है।
विवाह की रस्में –
- पीपल के पेड़ को वर के रूप में तैयार किया जाता है।
- विवाह की सभी रस्में जैसे मंडप, फेरे, और सिंदूर दान पूरी विधिपूर्वक कराई जाती हैं।
- विवाह मंत्रों का उच्चारण कर, लड़की को पीपल के पेड़ के साथ सात फेरे दिलाए जाते हैं।
विवाह के बाद प्रक्रिया –
- विवाह के बाद पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है।
- विवाह के बाद लड़की को मंगलिक दोषमुक्त माना जाता है और वह सामान्य रूप से विवाह कर सकती है।
अश्वत्थ विवाह के लाभ
- विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
- पति के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर मंगल दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- लड़की के जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
- पीपल का वृक्ष पूजनीय माना जाता है, जिससे लड़की के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
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- अन्य उपाय
मंगल दोष निवारण के लिए धार्मिक उपायों के साथ-साथ सकारात्मक सोच और संयम भी जरूरी है। सही मार्गदर्शन के लिए किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।
हनुमान जी की पूजा
- मंगल ग्रह का कारक हनुमान जी को माना जाता है।
- मंगलवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
- मंगलवार का व्रत रखें और हनुमान मंदिर में लाल चोला और सिंदूर अर्पित करें।
- हनुमान जी को गुड़-चना का भोग लगाएं और जरूरतमंदों में बांटें।
रक्तदान और गरीबों की सहायता
- मंगल ग्रह का संबंध रक्त और ऊर्जा से है।
- मंगलवार को रक्तदान करें और जरूरतमंदों को लाल वस्त्र, मसूर की दाल, तांबा, गुड़ और लाल फल दान करें।
मंगल यंत्र की स्थापना
- घर में मंगल यंत्र की स्थापना करें और उसकी पूजा करें।
- मंगल यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता लाता है।
. अन्य धार्मिक उपाय
- कुंडली में मंगल ग्रह की शांति के लिए रुद्राभिषेक करें।
- मंगलवार को शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और लाल फूल चढ़ाएं।
- नवग्रह शांति हवन कराएं।