वाराणसी जो भारत की अध्यात्मिक राजधानी कहलाती है, यहाँ आपका भगवान से जुड़ी दुनिया में स्वागत है। जहां पर कई प्रतिष्ठित पंडितों का घर है जो विभिन्न धार्मिक कार्यों और पूजाओं का आयोजन करने में प्रसिद्ध हैं। ज्योतिष पंडित सतीश शर्मा, वेदियन अनुस्थानों, मंत्रों और परंपराओं में अत्यधिक ज्ञानवान और अनुभवी हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं। वाराणसी में आप बहुत सारे अनुभवी पंडितों को पाएंगे जो कई प्रकार के पूजा का आयोजन करवाते हैं। जैसे कि गंगा आरती, घाट पूजाएं, काशी शिवनाथ पूजा मंदिर, और नवग्रह पूजा आदि कई प्रकार की पूजा करवातें हैं। आप हमारे साथ जुड़कर यहाँ के बेहतरीन पंडितजी के साथ अपनी ज़िंदगी को एक अनोखे सफर की ओर ले जा सकते हैं। जहाँ हम अपने समृद्ध अनुभव और अनुपम समर्पण के साथ कुछ खूबसूरत पल बनाते हैं जो आपके विश्वास और परंपराओं को महसूस करवाते हैं।
Our Service
सभी प्रकार के पूजन, दोष निवारण एवं मांगलिक कार्य
मंगल दोष
मंगल दोष, वैदिक ज्योतिष में एक अवधारणा है, जो व्यक्ति की जन्म कुंडली के कुछ गृहों में मंगल स्थान के आसपास घूमती हैं। इन गृहों में 1वां, 2वां, 4वां, 7वां, 8वां या 12वां मिले हुए हैं जो विवाहित जीवन के लिए जरूरी हैं। अगर मंगल इनमें से किसी भी गृह में इस्तित है, तो यह अनुकूल नहीं माना जाता और इसे मंगल दोष कहा जाता है। इस दोष या अनुभव को मंगल दोष कहा जाता है जो शादीशुदा जीवन को प्रभावित करता है। मंगल दोष वाले लोग जिन्हें मंगलिक भी कहा जाता हैं, वहां किसी भी उपयुक्त साथी को ढूंढने या मीलन संबंधों को बनाए रखने में विवादों या देरी का सामना कर सकता है। हालांकि मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए विशेष अनुष्ठान, रत्नों की पहनावट या ज्योतिष मार्गदर्शन की सलाह लेनी पड़ती है।
काल सर्प दोष
हिन्दू ज्योतिष में काल सर्प दोष को बहुत अशुभ माना जाता है। यह तब होता है जब सभी 7 ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि) राहु और केतु के बीच में स्थित होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में काल सर्प दोष होता है उन्हें जीवन में कहीं समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे मानसिक और शारीरिक परेशानी, बुरे सपने (जैसे लोगों का मरता हुआ देखना या सांप देखना), करियर और व्यक्तिगत जीवन में संघर्ष। सर्प दोष होने से जीवन साथी से झगड़े, अकेलापन, व्यापार में हानि, सिरदर्द और त्वचा जैसी समस्याएं शामिल होती हैं। इन प्रभावों को कम करने के लिए, ज्योतिष विशेष पूजा, रत्न धारण करना, विशेष मंदिर में जाना और दान करने जैसे उपायों की सलाह देते हैं।
रुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक एक हिन्दू आवास्थान है जो भगवान शिव की रुद्र रूप में पूजा के लिए किया जाता है। इस आवास्थान में शिवलिंग को पवित्र वस्तुओं जैसे पानी, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराया जाता है। भक्त फूल और अन्य सामग्री चढ़ाते हैं और वैदिक मंत्र में शिव के १०८ नाम का जाप करते हैं। मुख्य मंत्र है “ॐ नमो भगवते रुद्राय”। इस आवास्थान से बुरी ऊर्जा दूर होती है, पिछले पापों का प्रायश्चित होता है और आध्यात्मिक विकास होता है। यहां भगवान शिव को प्रसन्न करता है, बुरी शक्तियों को समाप्त करता है और समृद्धि लाता है। यह आवास्थान पूजारियों या भक्त द्वारा मंदिरों या घर पर प्राचीन हिन्दू साहित्य जैसे यजुर्वेद के रुद्रम और चमकम का पालन करते हुए किया जा सकता है।
नवग्रह पूजा
नवग्रह हिन्दू ज्योतिष में 9 ग्रहों का समूह है, जो किसी व्यक्ति की कुंडली और जीवन को प्रभावित करते हैं। ये 9 ग्रह हैं सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। नवग्रह पूजा के माध्यम से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है और जीवन में शांति और समृद्धि लाई जा सकती है। हर ग्रह का अपना महत्व और प्रभाव होता है।
- सूर्य: आत्मा, स्वास्थ्य, और सफलता का प्रतीक
- चंद्रमा: मन, भावनाएँ, और मानसिक स्थिति का प्रतीक
- मंगल: ऊर्जा, साहस, और संघर्ष का प्रतीक
- बुध: बुद्धि, संचार, और व्यापार का प्रतीक
- बृहस्पति: ज्ञान, धन, और धर्म का प्रतीक
- शुक्र: प्रेम, कला, और सौंदर्य का प्रतीक
- शनि: कर्म, न्याय, और कठिनाइयों का प्रतीक
- राहु: छाया ग्रह, चाल, और भ्रम का प्रतीक
- केतु: छाया ग्रह, मुक्ति, और अध्यात्मिकता का प्रतीक
पितृ दोष
पितृ दोष का मतलब है पूर्वजों की आत्मा की असंतोष या असाध्यता। यह तब होता है जब हमारे पूर्वजों ने अपने जीवन में कुछ कर्मों का प्रायश्चित नहीं किया हो या उनके अंतिम संस्कार विधि पूर्वक नहीं की गई हों। पितृ दोष के प्रभावित व्यक्ति जो जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक कठिनाई, और परिवार में कलह। कुंडली में पितृ दोष का संकेत तब होता है जब सूर्य या चंद्रमा राहु और केतु के बीच फंसे होते हैं। इस दोष को शांत करने के लिए विशेष पूजा, हवन, और दान किये जाते हैं, जैसे कि पितृ तर्पण और श्राद्ध। इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुधार आता है। पितृ दोष को दूर करने के लिए किसी ज्ञानी ज्योतिष की सलाह लेना बहुत जरूरी होता है।