मित्रो, जैसा की आप सभी जानते है की उज्जैन महाकालेश्वर का मंदिर सम्पूर्ण भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में है। दोस्तों माना जाता है की जो कोई भी इस मंदिर में आता है खाली हाथ नहीं जाता है। जैसा की आप सभी जानते है की अवंतिकापुरी के राजा विक्रमादित्य बाबा महाकाल के भक्त थे। और महाकाल की ही अनुकम्पा से उन्होने यहाँ 132 साल शाशन किया था। और इसी राजा ने इस मंदिर का निर्माण भी करवाया था पुराणिक मान्यता के अनुसार माना जाता है की ये मंदिर 900 से 1000 साल पुराना है। इस मंदिर की आस्था लोगो के तन मन में बसी है जो कोई भी भक्त यह दर्शन के लिए आता है वो यही को हो के रहे जाता है। दोस्तों ये मंदिर कोई आम मंदिर में से नहीं है यह जो कोई भी आया है खाली हाथ नहीं गया है। तो आइये आज की हमारी पोस्ट Ujjain Mahakaleshwar History in Hindi पर हम विस्तार से वर्णन करते है। अगर आप भी उज्जैन महाकाल के भक्त है तो ये पोस्ट आपके लिए ही है। उम्मीद करता हूँ की आप को हमारा ब्लॉग महाकाल उज्जैन का इतिहास जरूर पसंद आएगा।
इन राजाओं ने कराया मंदिर का पुनर्निर्माण
दोस्तों शायद ही आप लोगो में से कोई होगा जो अभी तक उज्जैन महाकाल के मंदिर नहीं गया है। मुझे नहीं लगता की आप में से कोई रहा होगा लगभग सभी यहां गए है। और आपकी मनो कामनाये भी बेशक पूरी हुई होगी। मित्रो उज्जैन महाकाल के मंदिर के बारे में बताया जाता है की इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। लेकिन हां और भी ऐसे कई राजा है जिन्हो का योगदान उज्जैन महाकाल मंदिर के निर्माण में रहा है। इस मंदिर में राजा विक्रमादित्य ने कई मूर्तियों का निर्माण करवाया वे मंदिर में एक राज सभा परिसर का भी निर्माण करवाया था जहा से वे प्रजा के समक्ष न्याय करते थे। और 11 वि शताव्दी में राजा भोज ने भी इस मंदिर के निर्माण योगदान में अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे कई राजा आये और कई गए जिन्हो ने अपने अपने राज में इस मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका ऐडा की जिस वर्णन आज भी इतिहास के पन्नो में है।
Mahakal ki Bhasm Aarti – भस्म आरती के पीछे का रहस्य
दोस्तों पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाकाल की भस्म आरती कई वर्षो से चली आ रही है। जैसा की शयद आप लोगो में से कुछ ही लोग जाते होंगे की महाकाल की भस्म आरती क्यों की जाती है। इसके पीछे क्या रहस्य है। मित्रो जैसा की आप सभी जानते है की प्रचीन समय में ऋषि मुनियो दुआरा हवन हुआ करते थे। और एक दिन उज्जैन नगरी में ऋषि मुनियो के माध्यम से हवन किया जा रहा था तभी एक दूषण नाम का दैत्य उन्हो के हवन में विघ्न डालने लग गया। ऋषियों ने उस राक्षस से बचने के लिए महाकाल का आवाहन किया महाकाल ने उस दानव चेतावनी दी लेकिन वे नहीं माना। नतीजा यह निकला की महाकाल ने उसे अपने हातो से भस्म कर दिया और और उसी भस्म से अपना श्रृंगार किया। तभी से महाकाल की भस्म आरती सदियों से चली आ रही है।
दोस्तों मुझे उम्मीद है की आपको हमारा आज का ब्लॉग Ujjain Mahakaleshwar History in Hindi पर पढ़ कर जरूर आनंद की अनुभूति हुई होगी। अगर आपको हमार ब्लॉग पसंद आया है तो शेयर करना ना भूले और हां। अगर उज्जैन महकाल से सम्बंदित कोई सवाल है आपका तो आप हमसे कमेंट मे पूछ सकते है। धन्यवाद।