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Bhagwat katha

भागवत की कथाएँ | Bhagwat Katha Story in Hindi

By May 28, 2024No Comments

दोस्तों आज हमने आप सभी के लिए एक शानदार लेख लिखा है। आज की हमारी पोस्ट है Bhagwat katha story in hindi पर इस लेख में आप भगवत कथा की कुछ सर्वश्रेष्ठ कथा के बारे में जानेगे। मित्रो जैसा की आप सभी को पता है की भागवत कथा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और पूजनीय ग्रंथों में से एक है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं, भक्तों की भक्ति, और धर्म के मार्ग पर चलने की महिमा का वर्णन किया गया है। भागवत कथा सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला और आध्यात्मिक ज्ञान का अद्भुत स्रोत है। इस लेख में हम भागवत कथा की एक प्रेरणादायक कथा का वर्णन करेंगे। तो आइये आपका कीमती समय बर्बाद किये बिना चलते है हमारी पोस्ट भगवत कथा इन हिंदी में। ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आएगी। 

प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु की कथा | Bhakt prahlad ki katha

भागवत कथा में अनेक कथाएँ हैं जो भक्तों के जीवन को दिशा प्रदान करती हैं। इनमें से एक है भक्त प्रह्लाद और उनके पिता हिरण्यकशिपु की कथा।

हिरण्यकशिपु एक अत्यंत बलशाली और अहंकारी राक्षस था, जिसने कठोर तपस्या के बल पर भगवान ब्रह्मा से अमरत्व का वरदान प्राप्त कर लिया था। उसने वरदान मांगा था कि उसे कोई भी प्राणी, देवता, मनुष्य या जानवर न मार सके, न दिन में, न रात में, न घर के अंदर, न बाहर, न किसी हथियार से। इस वरदान के कारण वह अत्यंत अभिमानी हो गया और अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया।

हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह अपने पिता के आदेशों का पालन न करते हुए भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था। प्रह्लाद की भक्ति और भगवान विष्णु के प्रति उसके समर्पण को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक प्रयास किए। मगर, हर बार भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा की।

आखिरकार, हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के लिए एक स्तंभ को तोड़ने का आदेश दिया, क्योंकि उसने सुना था कि भगवान विष्णु हर जगह विराजमान हैं। जैसे ही स्तंभ तोड़ा गया, भगवान विष्णु नरसिंह अवतार (अर्ध-मनुष्य और अर्ध-सिंह) के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने हिरण्यकशिपु को संध्या समय (न दिन, न रात), दरवाजे की चौखट पर (न घर के अंदर, न बाहर), अपने नाखूनों से (न किसी हथियार से) मार डाला। इस प्रकार, भगवान ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और हिरण्यकशिपु के अहंकार को नष्ट किया।

आखरी शब्द: –

मित्रो मुझे उम्मीद है की आपको हमारी पोस्ट bhagwat katha story in hindi पर लेख पसंद आया होगा। मित्रो इस पोस्ट में प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु की कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और विश्वास हमेशा हमें बुराई से बचाते हैं। यह कथा इस बात का प्रमाण है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा हर स्थिति में करते हैं, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत क्यों न हों। भक्ति, समर्पण और सत्य का मार्ग ही सच्ची विजय की ओर ले जाता है। आप ये कथा अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले। `

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